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आयुर्वेद के अलावा भारत की स्थानीय संस्कृति में कई चमत्कारिक पौधों के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलता है। कहते हैं कि एक ऐसी जड़ी है जिसको खाने से जब तक उसका असर रहता है, तब तक व्यक्ति गायब रहता है। एक ऐसी भी जड़ी-बूटी है जिसका सेवन करने से व्यक्ति को भूत-भविष्य का ज्ञान हो जाता है। कुछ ऐसे भी पौधे हैं जिनके बल पर स्वर्ण बनाया जा सकता है। इसी तरह कहा जाता है कि धन देने वाला पौधा जिनके भी पास है, वे धनवान ही नहीं बन सकते बल्कि वे कई तरह की चमत्कारिक सिद्धियां भी प्राप्त कर सकते हैं।


काली हल्दी के उपाय :-
  1. - आर्थिक तंगी से बचने के लिए किसी चांदी के डिब्बे में काली हल्दी, नागकेसर और सिंदूर डालकर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाकर उनके पैरों में स्पर्श कराएं. इसके बाद घर में धन रखने वाली जगह पर रख दें. इस उपाय को करने से पहले ध्यान रखें कि इसे शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार के दिन ही करना है. माना जाता है कि ऐसा करने से फिजूलखर्च में सुधार होता है.
  2. - वहीं, शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को काली हल्दी की गांठ लें. साथ ही, 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ियां और एक चांदी का सिक्का पीले कपड़े में रखकर पोटली बांध लें. और इस पोटली को हाथ में लेकर 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय' का 108 बार जाप करें. इसके बाद इस पोटली को धन स्थान या तिजोरी में रखें. ऐसा करने से बिजनेस में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं. आर्थिक तंगी से बचने के लिए किसी माह की गणेश चतुर्दशी को जब अमावस्या और शुक्रवार का संयोग बने पीले कपड़े में काली हल्दी और एक चांदी का सिक्का रखकर पूजा स्थल पर रखें और फिर तिजोरी में रख दें. माना जाता है कि इस उपाय को करने से पैसों की कमी नहीं होती.
  3. - कहते हैं कि काली हल्दी पीसकर उसमें केसर या गंगाजल मिलाएं. अब इस पेस्ट को गल्ले या अन्य दूसरी जगहों पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. यह उपाय माह के पहले बुधवार के दिन करें. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यापार में तरक्की के रास्ते खुलते हैं. काली हल्दी को सिंदूर के साथ लाल कपड़े में लपेट कर गुरु-पुष्य नक्षत्र के संयोग वाले दिन पहले पूजा के स्थान पर और फिर तिजोरी पर रखें. ऐसा करने से धन-वृद्धि होती है.

सहदेवी पौधे के उपाय के लाभ :-
  1. - सहदेवी के पौधे की सिद्ध की हुई जड़ को लाल रेशमी चमकदार कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखने से धन की कभी कमी नहीं होती और लगातार बढ़ता जाता है।
  2. - रसोईघर या अनाज के भंडारण घर में यदि सहदेवी की जड़ को शुद्ध स्थान पर रखा जाए तो कभी अन्न् की कमी नहीं होती।
  3. - घर के पूजन कक्ष में सहदेवी की स्थापना करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और घर के सभी वास्तुदोषों को खत्म कर देता है।
  4. - कोई कोर्ट-कचहरी या किसी अन्य विवाद में फंसे हों और फैसला आने वाला है तो सहदेवी की सिद्ध की हुई जड़ को दाहिने हाथ में बांधे या जेब में धारण करके जाएं, निश्चित ही विजय मिलेगी।
  5. - सहदेवी के पंचांग का चूर्ण बनाकर तिलक करने से तीव्र आकर्षण होता है। किसी सभा में इसका तिलक लगाकर जाने से लोग आपके वशीभूत रहेंगे।अभी से कर लें तैयारी, फरवरी में इस दिन है महाशिवरात्रि महापर्व
  6. - सहदेवी के पौधे के पंचांग का चूर्ण जिव्हा पर लगाकर बोलने से वाक सिद्धि होती है, हजारों लोग आपको अपलक सुनते रहेंगे।
  7. - इस पौधे की जड़ से बना काजल लगाकर जिसके सामने जाएंगे वह आपकी ओर आकर्षित हो जाएगा।
  8. - सहदेवी के पौधे को छाया में सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर जिसे पान में डालकर खिला देंगे, वह आपके वशीकरण पाश में बंध जाएगा।
  9. - सहदेवी की जड़ का तिलक लगाने से शत्रु भी मित्र बन जायेंगे।
  10. - सहदेवी की जड़ को दाहिनी बांह पर बांधने से समस्त प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
यश प्राप्ति हेतु :-
  1. - आम का बांदा:- इस पेड़ के बांदे को भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है।
  2. - हत्था जोड़ी : यह विशेषतौर पर वशीकरण के लिए होती है। माना जाता है कि हत्था जोड़ी को अपने पास रखने से लोग आपको सम्मान देने लगते हैं।
  3. - उटकटारी:- यदि आप राजनीति के क्षेत्र में तरक्की करना चाहते हैं तो यह जड़ी राजयोग दाता है। इस पौधे को बहुत से लोगों ने देखा होगा। इसके प्रभाव से व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है। लेकिन इस पौधे को विधिपूर्वक लाकर पूजा करना होती है।
रक्तगुंजा की जड़:-
  1. रक्तगुंजा को लगभग सभी लोग जानते होंगे। इसे रत्ती भी कहते हैं क्योंकि इसका वजन एक रत्ती के बराबर होता है और किसी समय इससे सोने की तौल की जाती थी। इस पौधे की जड़ रवि पुष्य के दिन, किसी भी शुक्रवार को अथवा पूर्णिमा के दिन निर्मल भाव से धूप-दीप से पूजन कर उखाड़ें और घर में लाकर गाय के दूध से धो कर रख दें। इस जड़ का एक भाग अपने पास रखने से सारे कार्य सिद्ध होते हैं। मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
मोर पंख:-
  1. साफ-स्वच्छ और खूबसूरत रेशमी कपड़े में मोर पंख को लपेट कर जेब में रखने से लोग आपकी तरफ खींचे चले आएंगे।
  2. इत्र या परफ्यूम- प्रतिदिन नाभि में लगाने से मादकता, (प्राय: स्त्रियों की), (पुरुष-मन के लिए) मोहकता बढ़ती है।
  3. आंधी झाड़ा- हर रोज ललाट पर इसकी जड़ को घिसकर तिलक लगाने से किसी जादू मंत्र सा प्रभाव होता है। सामने वाला वशीकृत हो जाता है।
  4. गेंदे का फूल- भगवान को अर्पित किया हुआ फूल लेकर गंगा जल के साथ पीस कर उसमें हल्दी मिलाकर तिलक की भांति माथे पर लगाएं। आपके प्रति लोगों का लुभाव बढ़ेगा।
  5. बहेड़ा की जड़:- पुष्य नक्षत्र में बहेड़ा वृक्ष की जड़ तथा उसका एक पत्ता लाकर पैसे रखने वाले स्थान पर रख लें। इस प्रयोग से घर में कभी भी दरिद्रता नहीं रहेगी। इसके अलावा पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर पर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।
  6. मंगल्य : मंगल्य नामक जड़ी भी तांत्रिक क्रियानाशक होती है।
धतूरे की जड़:-
  1. धतूरे की जड़ के कई तांत्रिक प्रयोग किए जाते हैं। इसे अपने घर में स्थापित करके महाकाली का पूजन कर 'क्रीं' बीज का जाप किया जाए तो धन सबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  2. धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
  3. काले धतूरे की जड़:- इसका पौधा सामान्य धतूरे जैसा ही होता है, हां इसके फूल अवश्य सफेद की जगह गहरे बैंगनी रंग के होते हैं तथा पत्तियों में भी कालापन होता है। इसकी जड़ को रविवार, मंगलवार या किसी भी शुभ नक्षत्र में घर में लाकर रखने से घर में ऊपरी हवा का असर नहीं होता, सुख -चैन बना रहता है तथा धन की वृद्धि होती है।
  4. मदार की जड़:- रविपुष्प नक्षत्र में लाई गई मदार की जड़ को दाहिने हाथ में धारण करने से आर्थिक समृधि में वृद्धि होती हैं।
  5. मदार की जड़:- रविपुष्प में उसकी मदार की जड़ को बंध्या स्त्री भी कमर में बंधे तो संतान होगी।
  6. मदार की जड़:- कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।
  7. हत्था जोड़ी:- हत्था जोड़ी का मुकदमा, शत्रु संघर्ष, दरिद्रता आदि के निवारण में इसका प्रयोग किया जाता है। तांत्रिक विधि में इसके वशीकरण के उपयोग किए जाते हैं। सिद्ध करने के बाद इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दिया जाता है। इससे आय में वृद्घि होती है और सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  8. बेला की जड़:-विवाह की समस्या दूर करने के लिए बेला के फूलों का प्रयोग किया जाता है। इसकी एक और जाति है जिसको मोगरा या मोतिया कहते हैं। बेला के फूल सफेद रंग के होते हैं। मोतिया के फूल मोती के समान गोल होते हैं। महिला को गुरु की जड़ और पुरुष को शुक्र की जड़ अपने पास रखनी चाहिए।
  9. चमेली की जड़:- अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे। विष्णुकांता का पौधा भी शत्रुनाशक होता है।
  10. चंपा की जड़:- हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें। इस उपाय से बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।
  11. शंखपुष्पी की जड़:- शंखपुष्पी की जड़ रवि-पुष्य नक्षत्र में लाकर इसे चांदी की डिब्बी में रख कर घर की तिरोरी में रख लें। यह धन और समृद्धि दायक है।
  12. तुलसी की जड़:- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर धारण करें। इससे अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।
  13. दूधी की जड़:- सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।
  14. नीबू की जड़:- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं। इस प्रयोग से उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
  15. काले एरंड की जड़:- श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें। इस प्रयोग से उसे संतान की प्राप्ति होगी।
  16. लटजीरा:- लटजीरा की जड़ को जलाकर भस्म बना लें। उसे दूध के साथ पीने से संतानोत्पति की क्षमता आ जाती हैं।
  17. ऐसे माना जाता है कि इन चमत्कारी जड़ों को धारण करने से परेशानी, दुख, रोगा दूर हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं कौन सी है ये जड़ें और किसी ग्रह से है संबंधित :-
संबंधित ग्रह - सूर्य
  1. बेल मूल का महत्व : ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक माना जाता है। बेल की जड़ को धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सूर्य के नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ते हैं और उनको इससे सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह हृदय रोग, रीढ़ की हड्डी से संबंधित बीमारी, अपच, थकावट से भी मुक्ति दिलाने में सहायक सिद्धि देने वाली जड़ी-बूटी : गुलतुरा (दिव्यता के लिए), तापसद्रुम (भूतादि ग्रह निवारक), शल (दरिद्रता नाशक), भोजपत्र (ग्रह बाधाएं निवारक), विष्णुकांता (शस्त्रु नाशक), मंगल्य (तांत्रिक क्रिया नाशक), गुल्बास (दिव्यता प्रदानकर्ता), जिवक (ऐश्वर्यदायिनी), गोरोचन (वशीकरण), गुग्गल (चामंडु सिद्धि), अगस्त (पितृदोष नाशक), अपमार्ग (बाजीकरण)।
  2. बांदा (चुम्बकीय शक्ति प्रदाता), श्वेत और काली गुंजा (भूत पिशाच नाशक), उटकटारी (राजयोग दाता), मयूर शिका (दुष्टात्मा नाशक) और काली हल्दी (तांत्रिक प्रयोग हेतु) आदि ऐसी अनेक जड़ी-बूटियां हैं, जो व्यक्ति के सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन को साधने में महत्वपूर्ण मानी गई हैं।
तांत्रिक जड़ी-बूटी वशिकरण प्रयोग
  1. तांत्रिक जड़ी-बूटी वशिकरण प्रयोग, प्रकृति मंे पाए जाने वाले कई पेड़-पौधों में बेहद चमत्कारी औषधीय गुण पाए जाते हैं, तो कईयों की जडी-बूटी में वशीकरण की जादूई शक्ति छिपी है। कुछ के उपयोग तांत्रिक प्रयोग लिए किए जाते हैं, जिनसे किसी भी व्यक्ति को आसनी से वश में किया जा सकता है। इनमें किस्मत पलटने की अद्भुत क्षमता होती है। ये भले ही दुर्लभ हों, लेकिन इनका उपयोग बहुत ही आसान है। तांत्रिक विद्या में सिद्धि देने वाले कुछ जड़ी-बुटियों में गुलतुरा से दिव्यता मिलती है, तो तापसद्रुम से भूत-पिशाच और ग्रहों के बूरे प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। भोजपत्र में ग्रह बाधाएं दूर करने की शक्ति है। सहदेई, गोरोचन, अपामार्ग और विष्णुकांता में सम्मोहन की क्षमता है। इनके संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैंः- सहदेईः बहुत ही साधारण सा दिखने वाला छोटा और कोमल पौधा सहदेई के कई तांत्रिक महत्व हैं। वैदिक मान्यता के अनुसार इसे देवी का दर्जा प्राप्त है। इस कारण इसे तांत्रिक साधना और मंत्र जाप से अभिमंत्रित करने के बाद वशीकरण से लेकर धनवृद्धि आदि में उपयोग किया जाता है। इस पौधे को उपयोग लाने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया जाता है। इस कार्य को किसी भी रवि-पुष्य योग के दिन सूर्योदय से पहले घर लाकर उसे पंचामृत से स्नान के बाद विधिवत षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। इसका पूजन मंत्र हैः- ऊँ नमो भगवती सहदेवी सदबलदायिनी सर्वंजयी कुरु कुरु स्वाहा!
वशीकरण प्रयोगः-
  1. सहदेई के पूजन के बाद इसके रस में शुद्ध केसर और गोरोचन मिलाकर गाली बना लेनी चहिए। इस तरह यह गोली वशीकरण और विजयी दिलाने के लिए जादूई टोटके जैसा अचूक असर करता है। गोली को गंगाजल में घिसकर तिलक लगाने और वश में किए जाने वाले व्यक्ति के समझ जाने से उसका वशीकरण सुनिश्चत होगा। इस उपाय के साथ वशीकरण मंत्र का 108 बार जाप भी किया जाना चाहिए। वह मंत्र हैः- ऊँ नमो नारायणाय सर्वलोकान् मम वशं कुरु कुरु स्वाहा!
  2. वशीकरण के लिए दूसरा प्रयोग इसकी जड़ को गंगाजल में घिसकर आंख में काजल की तरह लगाकर किया जाता है। ऐसा करने से यह मोहक प्रभाव देता है।
  3. यदि तुलसी के बीज को सहदेवी के रस में पीसकर ललाट पर तिलक लगाया जाए तो उसे देखने वाला सम्मोहित हुए बगैर नहीं रह पाता है।
  4. यदि तुलसी के बीज को सहदेवी के रस में पीसकर ललाट पर तिलक लगाया जाए तो उसे देखने वाला सम्मोहित हुए बगैर नहीं रह पाता है।
  5. यदि सहदेई के रस में अपामार्ग-ओंगा, भांगरा, लाजा और धान के छिलके को पीसकर तिलक किया जाए, उसमें किसी को भी सम्मोहन करने की चुंबकीय शक्ति आ जाती है।
  6. सहदेई को छाया में सुखाकर उसके चूर्ण को पान में डालकर जिस किसी को खिलाया जाए उसका वशीकरण हो जाता है।
  7. सहदेई को अपामार्ग के साथ लोहे के बर्तन में रखकर पीस लिया जाए और उसका तिलक मस्तक पर लगाया जाए तो उसे देखने वाला व्यक्ति निश्चित तौर पर सम्मोहित हो जाता है।
अपामार्गः-
  1. इसे ही चिरचिटा और जटजीरा के नाम से भी जाना जाता है। छोटा से अपामार्ग खेतों या झाड़ियों में पाया जाता है तथा इसके विविध तांत्रिक प्रयोग से वशीकरण किया जा सकता है। अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाएं और इसे ताबीज में भर दें। इस ताबीज को पहनकर वश में किए जाने वाले व्यक्ति के पास जाएं। उसक वशकरण होकर रहेगा। यह ताबीज एक साथ कई लोगों का वशीकरण कर सकता है।
  2. संखाहुली की जड़ः यदि आप विपरीत लिंग वाले व्यक्ति का वशीकरण चाहते हैं तो संखाहुली की जड़ का इस्तेमाल करें। इसे पाए जाने वाले स्थान से भरणी नक्षत्र में लाएं और ताबीज बनाएं। ताबीज को गले में पहनें और व्यक्ति के पास जाएं। उसके पास जाते ही वह आपसे सम्मोहित हो जाएगा। यह प्रयोग विशेष कर वैसे प्रेमियों और दंपतियों के लिए उपयोगी होता है, जिनके प्रेम – संबंध में खटास आ जाती है। वे इसका उपयोग कर एक-दूसरे के प्रति जबरदस्त आकर्षण पैदा कर सकते हैं।
  3. सुदर्शन और कांकरसिंही की जड़ः इसके बारे में संस्कृत में एक श्लोक हैः- करे सौदर्शनं बध्वा राजप्रियो भवेत! संही मूले हरेत्पुष्ये कटि बध्वा नृपप्रियः!! अर्थात सुदर्शन की जड़ को हाथ में बांधने वाला व्यक्ति राज को सम्मोहित कर सकता है। यानी कि वह व्यक्ति राजा का प्रिय बन जाता है। यहां मौजूदा दौर राजा का अर्थ मंत्री और सर्वोच्च पद पर बैठा अधिकारी से है। इसी तरह से कांकरसिंही की जड़ को पुष्य नक्षत्र में लाकर कमर में बांधने से भी श्रेष्ठ व्यक्ति को सम्मोहित किया जा सकता है।
काकजंघाः
  1. जंगली पौधा काकजंघा का उपयोग वशीकरण में तांत्रिक विधि के साथ किया जाता है, लेकिन इसके कुछ टोटके भी हैं।
  2. काकजंघा के साथ काले कमल, भवरें के दोनों पंख और पुष्कर की जड़ को पीसकर चूर्ण बनाया जाता है। उसका तिलक लगाने वशीकरण किया जाता है।
  3. इसके अतिरिक्त काकजंघा के साथ कमल की जड़, महुआ, लजालू और स्वीकार्य को मिलाकर बनाए गए मिश्रण का तिलक भी वशीकरण के लिए उपयोगी होता है।
  4. जिस किसी को चंदन, तगर, कूठ, प्रियंगु, नागकेसर और काले धतूरे के काकाजंघा को मिलाकर बनाए चूर्ण अभिमंत्रित कर एक सप्ताह तक खिला दिया जाए, वह व्यक्ति हमेशा के लिए वशीभूत हो जाएगा।
  5. काकजंघा, तगर, केसर, कमल को पीसकर स्त्री के मस्तिष्क पर लगाया जाए और पैर के नीचे डाली जाए, वह निश्चित तौर पर वशीभूत हो जाएगी।
हत्था जोड़ीः-
  1. यह एक ऐसी दुर्लभ जड़ी है, जिसे लेकर कई भ्रांतियां हैं। एक भ्रांति इसके किसी जीव की हड्डी होने को लेकर भी है। अन्य गलतफहमियां इसके तांत्रिक प्रयोग के संबंध में है। हालंकि इसका उपयोग मुकदमा जीतने, शुत्रुता दूर करने, दरिद्रता मिटाने आद के अतिरिक्त वशीकरण में भी प्रमुखत से किया जाता है।
  2. इन सभी के लिए विशेष तांत्रिक साधना की जाती है। इसे सिद्धि के बाद लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर के किसी सुरक्षित स्थान में रख दिया जाता है। तिजोरी में रखने धन की बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ विपत्तियों से छुटकारा मिलता है।
  3. बेला की जड़ः सफेद फूलों वाले इस पौधे की जड़ से किसी व्यक्ति का विशेष का नहीं, बल्कि स्त्री और पुरुष के बीच एक-दूजे के प्रति अकर्षण बढ़ाने और वैवाहिक बाधा को दूर करने के लिए किया जाता है। इसकी एक और जाति मोगरा या मोतिया है,
  4. जिसके फूल मोती जैसे गोल होते हैं। स्त्री को बेला की जड़ अपने पास गुरुवार को रखना चाहिए जबकि पुरुष को इसे शुक्रवार को धारण करना चाहिए। बेला के फूलों का उपहार सम्मोहन बढ़ाता है।
इयं सोमकला नाम वल्ली परमदुर्लभा।
अनया बद्ध सूतेन्द्रो लक्षवेधी प्रजायते॥
जिसके पन्द्रह पत्ते होते हैं, जिसकी आकृति सर्प की तरह होती है, जहाँ से पत्ते निकलते हैं; वे गाँठें लाल होती हैं, ऐसी वह पूर्णिमा के दिन लाई हुई पँचांग (मूल, डंडी, पत्ते, फूल और फल) से युक्त सोमवल्ली पारद को बद्ध कर देती है। पूर्णिमा के दिन लाया हुआ पँचांग (मूल, छाल, पत्ते, फूल और फल) से युक्त सोमवृक्ष भी पारद को बाँधना, पारद की भस्म बनाना आदि कार्य कर देता है। परन्तु सोमवल्ली और सोमवृक्ष-इन दोनों में सोमवल्ली अधिक गुण वाली है। इस सोमवल्ली का कृष्णपक्ष में प्रतिदिन एक-एक पत्ता झड़ जाता है और शुक्लपक्ष में पुनः प्रतिदिन एक-एक पत्ता निकल आता है। इस तरह लता बढ़ती रहती है। पूर्णिमा के दिन इस इस लता का कन्द निकाला जाय तो वह बहुत श्रेष्ठ होता है। धतूरे के सहित इस कन्द में बँधा हुआ पारद देह को लोहे की तरह दृढ़ बना देता है और इससे बँधा हुआ पारद लक्षभेदी हो जाता है अर्थात एक गुणा बद्ध पारद लाख गुणा लोहे को सोना बना देता है। यह सोम नाम की लता अत्यन्त दुर्लभ है।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि Amwellfit किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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